no Internet Connectivity Village: भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में स्थित किब्बर गांव एक तरफ प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, तो दूसरी तरफ यहां इंटरनेट की भारी कमी लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यहां के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए रोज़ाना कई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, सिर्फ इसलिए कि उन्हें मोबाइल का थोड़ा सा सिग्नल मिल सके।
न डिजिटल शिक्षा न ऑनलाइन सेवाएं
आज जब भारत डिजिटल युग में कदम रख चुका है और ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल पेमेंट और ई-गवर्नेंस जैसी सेवाएं आम हो चुकी हैं, वहीं किब्बर गांव के निवासी इन सब से कोसों दूर हैं। यहां के बच्चों और युवाओं को आधुनिक शिक्षा और जानकारी से जोड़ना एक मुश्किल काम बन गया है।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर लेकिन तकनीकी सुविधाओं से वंचित
किब्बर गांव समुद्र तल से करीब 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी शांति व हरियाली दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करती है, लेकिन यहां के स्थानीय लोगों के लिए यह खूबसूरत जगह तकनीकी रूप से पिछड़ी हुई है। मोबाइल नेटवर्क की अनुपलब्धता ने यहां के लोगों को डिजिटल भारत के दायरे से बाहर कर रखा है।
पढ़ाई के लिए संघर्ष बना इंटरनेट
यहां के छात्रों को ऑनलाइन क्लास अटेंड करने या होमवर्क डाउनलोड करने के लिए उन चोटियों पर जाना पड़ता है, जहां कभी-कभी मोबाइल सिग्नल मिल जाए। इस कठिन रास्ते को तय करना हर दिन का काम बन चुका है। वहीं, किसी सरकारी योजना या सुविधा का लाभ लेने के लिए भी इंटरनेट की उपलब्धता सबसे बड़ी बाधा बन गई है।
सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में भी है ऐसी समस्या
इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) की 2023 की रिपोर्ट बताती है कि आज भी करीब 2.6 बिलियन लोग दुनिया में ऑफलाइन हैं। ये लोग अक्सर दूरदराज के इलाकों, पहाड़ी क्षेत्रों या घने जंगलों में बसे होते हैं। जहां इंटरनेट, स्मार्टफोन और डिजिटल तकनीक का पहुंचना अभी भी एक सपना बना हुआ है।
सरकारी योजनाओं की पहुंच से बाहर हैं ये गांव
हालांकि सरकारें डिजिटल साक्षरता को लेकर कई प्रयास कर रही हैं, लेकिन ऐसे ग्रामीण और दूरस्थ इलाके इन योजनाओं की पहुंच से आज भी बाहर हैं। अगर भारत को डिजिटल रूप से आगे बढ़ाना है, तो ऐसे गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की ओर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
समाधान की ओर पहला कदम
ऐसे इलाकों में सेटेलाइट इंटरनेट, मोबाइल टावरों की स्थापना, और सौर ऊर्जा आधारित डिजिटल कियोस्क जैसे उपाय जल्द से जल्द अपनाने की आवश्यकता है ताकि यहां के निवासी भी डिजिटल क्रांति का हिस्सा बन सकें।